134 शिडयूल्ड दवाओं तथा चार आईवी फ्लूइड्स के मूल्य निर्धारण हेतू

एनपीपीए ने अक्टूबर 2023 के लिए निर्माताओं से डाटा मांगा


नयी दिल्ली – राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 134 अधिसूचित दवाओं तथा चार आईवी फ्लूइड्स की अधिकतम कीमतें तय करने के लिए निर्माताओं तथा विपणनकर्ता कम्पनियों से अक्टूबर 2023 माह के लिए इन उत्पादों के मूल्यों से सम्बंधित डाटा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। यह प्राधिकरण के पहले के निर्णय के अनुरूप है जिसमें अक्टूबर 2023 के मूल्य डाटा बेस के आधार पर फार्मूलेशन्स की अधिकतम कीमत तय करने के लिए कहा गया था जबकि इससे पहले जुलाई 2022 का डाटाबेस लेने का आदेश दिया गया था। जुलाई 2022 के डाटाबेस का उपयोग करके संशोधित किए गए शिडयूल के अन्तर्गत जनवरी 2024 के दूसरे पक्ष में अधिकतम मूल्य निर्धारित किए गए थे।
24 जनवरी 2024 को आयोजित प्राधिकरण की बैठक मंे निर्णय लिया गया कि ड्रग्स (प्राइज कंट्रोल) ऑर्डर-2013 के संशोधित किए गए शिडयूल प् के अन्तर्गत शेष रहे लगभग 225 फॉर्मूलेशन के अधिकतम मूल्य तय करने कूे लिए अक्टूबर 2023 के मूल्य के डाटाबेस का प्रयोग किए जाए। एनपीपीए ने अब सम्बंधित निर्माताओं तथा विपणनकर्ता कम्पनियों को निर्देश दिया है कि वह मूल्य नियामक द्वारा उपलब्ध करवाए गए प्रारूप में अक्टूबर-2023 महीने के लिए मूल्य के सन्दर्भ में प्राइज-टू-रिटेलर ;पीटीआरद्ध तथा मूविंग अन्नुअल टर्नओवर (एमएटी) (नवम्बर 2022 से अक्टूबर 2023 के दौरान कुल बिक्री) के सम्बन्ध में डाटा प्रस्तुत करें। 05 जून 2024 को जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन के जारी होने से 10 दिनों की अवधि के अन्दर जानकारी साकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने की मांग की गयी है। 134 फॉर्मूलेशन्स तथा चार आईवी फ्लूइड्स फॉर्मूलेशन्स ग्लूकोज, ग्लूकोज प्लस सोडियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड तथा रिंगर लेक्टेट के लिए विवरण मांगा गया है।
जनवरी 2024 की बैठक में प्राधिकरण ने पाया कि 23 नवम्बर 2022 को आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर 24 जनवरी 2024 तक जुलाई 2022 के डाटाबेस का प्रयोग कर नैशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन ;एनएलईएमद्ध 2022 के अन्तर्गत 700 फॉर्मूलेशन्स के मूल्य निर्धारित किए गए हैं। आगे लगभग 225 फॉर्मूलेशन्स के सीलिंग मूल्य नए डाटाबेस के साथ निर्धारित किए जाने हैं।
एनएलईएम-2015 के आधार पर पिछली सीलिंग मूल्य संशोधन की प्रक्रिया से तुलना करने पर प्राधिकरण ने पाया कि एनएलईएम को शिडयूल प् के रूप में मार्च 2016 को अधिसूचित किया गया था तथा अगस्त-2015 के डाटाबेस, जो कि शिडयूल प् की अधिसूचना की तारीख से छह महीने पहले का था, को मूल्य निर्धारण के दौरान विचार में लिया गया था। हालांकि 03 जनवरी 2019 से पैरा 9 (7) के लागू होने के बाद अगस्त 2015 माह के साथ-साथ अन्य महीनों के डाटाबेस पर विचार करते हुए एनएलईएम-2015 के अन्तर्गत अधिकतम मूल्य तय किए गए थे। यह भी देखा गया कि मूल्य निर्धारण के लिए अक्टूबर 2023 का डाटा बेस का प्रयोग कम्पनियों द्वारा उपयोग में लिए गए 2023 के थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर विधिवत संशोधित पीटीआर को भी कैप्चर करेगा। तदन्दर डीपीसीओ 2013 के पैरा 9 (7) के तहत एनएलईएम -2022 के अन्तर्गत शेष रहे फार्मूलेशन्स की अधिकतम कीमतों के निर्धारण के लिए अक्टूबर-2023 के डाटा बेस और अक्टूबर 2023 के महीने का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।
डीपीसीओ-2023 के पैरा 9 (7), जिसे 03 जनवरी 2019 में संशोधन के माध्यम से आदेश में जोड़ा गया है था, में कहा गया कि इस पैराग्राफ में निहित किसी भी बात के बावजूद फार्मूलेशन के लिए अधिकतम मूल्य तय करने या संशोधित करने के लिए, यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो सरकार किसी भी महीने के लिए उपलब्ध मार्केट आधारित डाटा पर विचार कर सकती है, जैसा कि उचित समझा जाए।

नशीली दवाओं का बड़ा खेल, पेमेन्ट पहले व ऑर्डर बड़ा हो कम्पनियों बनाकर भेजने को तैयार

श्रीगंगानगर- राजस्थान के मुख्यतः दो जिले, परन्तु अब तीन क्योंकि श्रीगंगानगर के तहत आते अनूपगढ को जिला बनाया गया है, हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर में पिछले दो साल में पुलिस तथा बीएसएफ द्वारा 700 करोड़ रूपए मूल्य से ज्यादा का नशा पकड़ा गया है। 2100 से अधिक तस्कर गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस तथा औषधि नियंत्रण विभाग भी तीन साल में 15 लाख से ज्यादा नशीली गोलियां जब्त कर चुके हैं परन्तु इसके बावजूद कस्बों गांवों में नशा चोरी-छिपे बिक रहा है।
प्रिन्ट मीडियाकर्मियों ने जब इनकी आपूर्ति के सम्बन्ध में जांच पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी। प्रेगबालिन-150 एवं 300 एमजी की टेबलेट/कैप्सूल की बिक्री पर इन दोनों जिलांे में प्रतिबन्ध है। बद्दी (हिमाचल प्रदेश) जो कि दवा निर्माण क्षेत्र में एक हब के रूप में जाना जाता है, वहां कम्पनियां इन दवाओं को न केवल बनाने के लिए तैयार है बल्कि आपके दिए पते पर भेजने को तैयार हैं। मीडियाकर्मी ने बद्दी व चण्डीगढ में कई दवा कम्पनियांे के प्रतिनिधियों, दलालों तथा थोक विक्रेताआंे से मिल कर प्रेगबालिन-300 एमजी का सौदा किया। सभी यह टेबलेट बना कर देने को तैयार थे। 10 टेबलेट का स्ट्रिप 20 से 30 रूपए से बना देंगे परन्तु शर्त है कि कम से कम 500 बॉक्स बनवाने होंगे। यानि थोड़ा मोटा खेल खेलना होगा। होलसेलर्स का कहना

था कि आप तो पता दीजिए प्रेगबालिन-300 एमजी भिजवा देंगे लेकिन बॉक्स कम से कम 50 लेने होंगे। दिल्ली के होलसेलर्स टेपेन्टाडोल देने को भी तैयार हो गए। इस तत्व की टेबलेट की भी नशेड़ियों में जबरदस्त मांग है। हैरानी की बात है कि यह सब ड्रग लाइसेंस के बिना यह दवाएं देने को तैयार हो गए।
बद्दी ;हिमाचल प्रदेशद्ध में फार्मा कम्पनियों के लगभग 700 प्लांट हैं। यहां बहुत से दवा प्लांट आवासीय क्षेत्रों ;घरोंद्ध में संचालित हो रहे हैं। इन प्लांट्स में बड़ी फार्मा कम्पनियों को थर्ड पार्टी मैन्यूफैक्चरिंग के नाम पर दवाएं बना कर दी जाती हैं और इसी की आड़ में अनेक प्लांट्स में एच-1 श्रेणी की नशीली दवाएं भी बनायी जाती हैं। दलाल/कम्पनी प्रतिनिधि इन्हीं प्लांट मालिकों के सम्पर्क में रहते हैं व दवा के ऑर्डर इन्हें देते हैं। कम्पनियां पैसा कमाने के चक्कर में बिना ड्रग लाइसेंस तथा जीएसटी के बिना ही न केवल ऐसी दवाएं बनाने को तैयार हो जाती हैं बल्कि आपके बताए पते पर सीधे भेज देती हैं।
हनुमानगढ़ के सहायक औषधि नियंत्रक अशोक मितल का कहना है कि नशे में दुरूपयोग होने वाली 13 दवाओं की बिक्री में अनियमितताओं के चलते हमने पिछले डेढ वर्ष में 32 फर्मों के लाइसेंस निलम्बित तथा 20 से अधिक लाइसेंस निरस्त किए हैं।

8 चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन निरस्त, दो का निलम्बित

जयपुर- चिकित्सा क्षेत्र का विनियमन करने वाली संस्था राजस्थान मैडीकल कौंसिल की जनरल बॉडी की बैठक में पैनल एवं इथिकल कमेटी के सामने रखे गए 25 प्रकरणों में से एनएमसी (दिल्ली) के निर्देशनुसार 8 चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया और दो चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन 6-6 महीने की अवधि के लिए निलम्बित कर दिया गया। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश ने बताया कि डॉ. संजय धनखड़, डॉ. गणपत सिंह, डॉ. मोहम्मद साजिद, डॉ. मोहम्मद अफजल, डॉ. कृष्णा सोनी, डॉ. बोम्मा रेड्डी हरि कृष्णा, डॉ. जयदीप सिंह तथा डॉ. बलजीत कौर का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है जबकि डॉ. अजय अग्रवाल तथा डॉ. सुमन अग्रवाल का रजिस्ट्रेशन 6-6 महीने के लिए निलम्बित किया गया है। उन्होंने बताया कि निर्देशों पर राजस्थान मैडीकल कौंसिल के समस्त रिकॉर्ड को ऑन लाइन करने एवं चिकित्सकों के क्रेडिट अवार्ड कौंसिल के समस्त रिकॉर्ड को ऑन लाइन करने एवं चिकित्सकों के क्रेडिट अवार्ड को बढाने के लिए ऑन लाईन सीएमई सिस्टम लागू करने एवं परिषद में पंजीकृत चिकिसकों का क्यू आर कोड वाले स्मार्ट कार्ड बनाने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया है। साथ ही पीसीटीएस सॉफ्टवेयर और यू विन पोर्टल पर निजी चिकित्सालयों की रिपोर्टिंग करने के भी निर्देश दिए गए है।

ग्लोबल टैण्डर इन्क्वायरी से उत्पादों की खरीद को सुगम बनाने हेतू

डीओई ने 120 दवाओं को जनरल फाइनेन्सियल नियमों से छूट दी

नयी दिल्ली- केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अन्तर्गत ओन वाले व्यय विभाग (जीटीई) के माध्यम से 120 प्रकार की दवाओं की सरकारी खरीद को योग्य बनाने के लिए एक आदेश जारी कर 31 मार्च 2027 तक के लिए जनरल फाइनेन्सियल रूल्स (जीएफआर) में सम्बंधित नियमों से छूट प्रदान की हैं। जीएफआर नियमों से इन दवाओं की खरीद के लिए छूट देने हेतू स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए अनुरोध के अनुसरण में यह आदेश जारी किए गए हैं। जीएफ आर 2017 के निमय 161 (IV) के अनुसार 200 करोड़ रूपए तक की निविदाओं के लिए ग्लोबल टैण्डर इन्क्वायरी आमंत्रित नहीं की जा सकती। हालांकि असाधारण मामलों में, जहां मंत्रालय या विभाग को लगता है कि जीटीई जारी करने के लिए विशेष कारण हैं, वह अपना विस्तृत औचित्य दर्ज कर सकता है और सक्षम प्राधिकारी, जो सचिव (समन्वय) कैबिनेट सचिवालय है, से नियम में छूट के लिए पूर्व में अनुमोदन प्राप्त कर सकता है।
जीटीई की अनुमति देने के लिए जिन दवाओं को नियमों से छूट दी गयी उन में अन्य दवाओं के साथ इली-लिली की मधुमेह के लिए ट्रलिसिटी ब्रांडेड प्री-फिल्ड पेन, शेष द्वारा एवरिसडी ब्रांड नाम से बेची जाने वाली दवा रिस्डिप्लाम, एस्ट्रा जेनेका की गम्भीर इसीनोफिलिक अस्थमा दवा फासेनरा, ग्लैक्सों स्मिथ क्लाइन का दाद का टीका शिंग्रिक्स, जाॅनसन एण्ड जाॅनसन की रूमेटाइड गठिया की दवा सिम्पोनी तथा नोवो-नोर्डिक्स की ब्रांडेड रेजोडेग पेनफिल शामिल हैं।
डीओई के आदेश में कहा गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुरोधप के मद्देनजर जीएफआर-2017 के नियम 161 (IV) के तहत, इस विभाग द्वारा 15 मई 2020 ओर 28 मई 2020 के कार्यालय ज्ञापन संख्या एफ. 12/17/2019- पीपीडी के द्वारा जारी निर्देशों से, सामान्य छूट प्रदान की जाती है, जिसके तहत 31 मार्च 2027 या अगले आदेश तक एनेक्जर ए में सूचीबद्ध 120 दवाओं की खरीद के लिए जीटीई जारी किए जा सकते हैं। यहां ध्यान देने योग्य है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय समय-समय पर कुछ दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों के लिए जीएफआर नियमों से छूट देने की मांग करता रहा है ताकि स्थानीय बाजार में इनकी उपलब्धता की जांच के बाद जीटीई के माध्यम से इन उत्पादों की खरीद को सुविधाजनक बनाया जा सके।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मा विभाग कई उत्पादों के लिए स्थानीय निर्माताओं की पहचान करने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि केन्द्र सरकार की खरीद एजेन्सियां जैसे तेल रेल मंत्रालय और कर्मचारी राज्य बीमा निगम ;ईएसआईसीद्ध जीएफआर की शर्तों के अनुसार इन दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए स्थानीय निर्माताओं का विवरण शामिल कर सकें। इस उद्देश्य के लिए खरीद एजेन्सियों से इन दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की सूची भी संकलित की जाती है। अप्रैल 2023 में व्यय विभाग ने एक ज्ञापन जारी किया जिसमें 364 चिकित्सा उपकरणों तथा 70 दवाओं को स्थानीय निर्माताओं से खरीद के लिए अनिवार्यता से छूट दी गयी और बाद में दिसम्बर 2023 में इस सूची में 15 और दवाएं जोड़ी गयी। इन दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को 31 मार्च 2024 तक प्रासंगिक जीएफआर नियम से छूट दी गयी। उल्लेखित है कि फार्मा विभाग ने 30 दिसम्बर 2020 को सार्वजनिक खरीद ओदश (पीपीओ) 2017 को प्रावधानों को लागू करने के लिए एक दिशा-निर्देश जारी किया है जिसका उद्देश्य मेक इन इंण्डिया को प्रोत्साहित करना और भारत में फार्मास्यिूटिकल क्षेत्र से सम्बंधित वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण और उत्पादन को बढावा देना है ताकि आय तथा रोजगार को बढाया जा सके।

Top Pharma News

Centre raises alarm on adverse reaction caused by widely used life-saving beta blocker drugs

Concerned over the widely used life-saving beta blocker drugs causing adverse drug reactions, the government’s Indian Pharmacopoeia Commission (IPC) has issued an alert about the same.

An adverse drug reaction (ADR) is a harmful, unintended result caused by taking medication. ADRs may occur following a single dose or prolonged administration of a drug or may result from the combination of two or more drugs.

This is important as doctors widely prescribe the beta blocker medication to manage abnormal heart rhythms, prevent heart attack and migraine.

During a recently conducted analysis of Adverse Drug Reactions (ADRs), the commission found that the use of drugs such as metoprolol, propranolol, and atenolol can cause “Hypokalaemia”—a life-threatening condition due to potassium deficiency in the body.

Medically, the drugs metoprolol, propranolol and atenolol are used to treat hypertension in adults, functional heart disorders, migraine prophylaxis, cardiac arrhythmias, management of angina; essential and renal hypertension and other heart disorders.

“The analysis of adverse drug reactions from Pharmacovigilance Programme of India (PvPI) database revealed that beta blocker drugs (Metoprolol, Propranolol, and Atenolol) to cause adverse drug reaction,” stated IPC’s drug safety alert reviewed by Mint.

India’s beta-blocker market is currently valued at $11.06 billion and is expected to touch $15.08 billion by 2030.

India is one of the largest producers of quality medicines and has a robust pharmacovigilance system to monitor the safety profile of marketed pharmaceutical products.

“Healthcare professionals, patients or consumers are advised to closely monitor the possibility of the above ADR associated with the use of above suspected drug. If such a reaction is encountered, please report to the IPC,” it said.

IPC monitors adverse drug reactions among Indian population and helps the Central Drugs Standard Control Organization (CDSCO) take regulatory decisions for the safe use of medicines.

From March till December, around 13 different drugs were found to be showing adverse drug reaction as declared by IPC.

Source : Live Mint

Cipla rolls out mobile application for asthma screening

Drug firm Cipla on Monday said it has launched a mobile application designed to enable the first line of screening for asthma in India. According to the Global Burden of Disease report, the total burden of asthma in India is estimated to be around 34.3 million.

India has a three-fold higher mortality rate and two-fold higher asthma-associated disability burden compared to the global proportion.

This can be attributed, in part, to the underdiagnosis and undertreatment of asthma.

“By leveraging the power of next-gen technologies, we are developing solutions that are fundamentally transforming patient care and enabling better diagnostic, treatment, and management outcomes,” Cipla Managing Director & Global CEO Umang Vohra said in a statement.

The mobile application — CipAir will be available on Android and will be subsequently rolled out on iOS devices, the company stated.

Source : Economic Times

CDSCO Releases Draft Standard Evaluation Protocols For Issuing License For IVDs

New Delhi: The Central Drugs Standard Control Organisation (CDSCO) and Indian Council of Medical Research (ICMR) have together released the draft standard evaluation protocols for the purpose of issuing license for in-vitro diagnostics (IVDs) under the Medical Devices Rules (MDR), 2017.

The drug regulator has said that licensure of IVDs under the MDR requires a detailed evaluation protocol for the performance evaluation of IVDs to evaluate their quality and performance and these protocols would be used by IVD manufacturers testing labs in India.

The aim is to facilitate the availability of quality-assured diagnostic kits appropriate for use in India. The guidelines shall establish uniformity in performance evaluation of IVD kits. The performance evaluation is to independently verify the manufacturer’s claim regarding IVD performance.

It has come out with a draft performance evaluation and field evaluation protocols for 14 tests, seeking response from the stakeholders within February 15, 2025.

The tests for which the draft protocol has been formulated include performance evaluation protocol for Chikungunya IgM ELISA, Chikungunya IgM RDT, Chikungunya real-time PCR, Dengue NS1 RDT, Dengue NS1 ELISA, Dengue IgM RDT, Dengue IgM ELISA, Dengue NS1/ IgM combo RDT, Dengue real-time PCR, and Zika virus real-time PCR, and field evaluation protocol for Dengue NS1 RDT, Dengue NS1 ELISA, r Dengue NS1/ IgM combo RDT, and Dengue real-time PCR.

“The protocols are now being placed in the public domain for comments from relevant stakeholders. This window of opportunity will close on 15th February 2025, and, once finalized, there will be minimal scope for change in these documents. Therefore, all interested stakeholders are requested to provide their comments before 15th February 2025…,” said the drug regulator while releasing the draft protocols.

Once the public consultation period concludes, all comments will be reviewed and considered in finalizing the draft protocols before final clearance by ICMR and CDSCO.

After following due procedure as defined in the guidelines for various tests, once any kit is found to be Not of Standard Quality (NSQ), no request for repeat testing of the same kit will be acceptable thereafter, said the drug regulator. Any request for re-validation from the same manufacturer for the same test type will only be entertained if valid proof of change in the kit composition is submitted.

It may be noted that the Central government and the Central drug regulator has been putting various rules and guidelines in position to ensure the safety and quality of medical devices in the market, following the implementation of the MDR, 2017, after the medical devices has been brought under the purview of drug regulators.

Source : Pharmabiz

Dabur India expects low single-digit revenue growth in Q3

Dabur India on Friday said it expects to garner “low single-digit growth” in terms of consolidated revenue during the December quarter and a “flattish” operating profit growth. The company also said it continued to see the impact of inflationary pressures in some segments during the December quarter. At the same time it expects FMCG demand to revive in the coming months.

The FMCG major said that rural consumption for FMCG was resilient during the quarter under review and continued to grow at a faster clip than urban consumption. It noted that modern trade, e-commerce and quick commerce channels continued to post strong growth but the general trade channel was still under pressure.

“Dabur’s consolidated revenue is expected to register low single digit growth during Q3 FY25.We anticipate flattish operating profit growth (in Q3).,” Dabur India stated in its quarterly preview for December quarter in a regulatory filing.

In the Indian market, the company expects the home and personal care segment to post growth of “mid-to-high-single digits”. However, due to the delayed onset of winter, it expects health care segment growth to be “flattish”.

Even the beverages portfolio is expected to report muted performance, it added.

However, the company’s food business is expected to post strong double-digit growth on the back of strong performance of its brands ‘Hommade’ and ‘Badshah’ during Q3.

“ The International Business is expected to register double-digit growth in constant currency terms, led by good momentum in the MENA region, Egypt, Bangladesh and US business.”

Dabur India said it had to take tactical price hikes to partially mitigate inflationary pressures that it witnessed in some segments during the December quarter. The company also leveraged on cost-efficiency initiatives to manage costs during this period.

“With improving macroeconomic indicators, we expect FMCG growth to revive and sequential improvement in demand going forward. We remain committed to delivering superior performance across all business segments and enhancing market share within our portfolio,” the company noted in its regulatory filing. It added that its strategic priorities continue to be focused on brand building, sustained profitable growth, and long-term value creation.

Source : Business Standard

NPPA sets retail prices for 65 drugs, revises ceiling for 20 formulations

The National Pharmaceutical Pricing Authority (NPPA) has fixed retail prices for 65 new drug formulations and notified ceiling price fixation of 13 formulations. The regulatory body, under the Department of Pharmaceuticals, also revised the ceiling prices of seven other drugs to include the impact of the 0.00551 per cent increase in drug prices in the National List of Essential Drugs (NLEM), based on the changes in the wholesale price index (WPI) for 2024.
The decision to revise the prices of the formulations was taken during the authority’s 128th meeting on December 12. Prices have been fixed for drugs used to treat Type 2 diabetes, high cholesterol, bacterial infections, and painkillers, whereas drugs with revised ceiling prices include vaccines for rabies, tetanus, and measles, among others, according to multiple notifications from the NPPA.
The revision and fixation of retail and ceiling prices is a routine exercise undertaken by the NPPA. The drug pricing regulator is vested with the responsibility of fixing and revising the prices of pharmaceutical products, enforcing provisions of the Drug Price Control Order (DPCO), and monitoring the prices of both controlled and decontrolled drugs.
In a recent government notification, retail prices of essential fixed combination drugs (FDCs) such as a combination of atorvastatin and ezetimibe tablets, used to treat high cholesterol, by reducing “bad” cholesterol (LDL) and triglyceride levels have been fixed. FDCs are drugs that contain a combination of two or more active pharmaceutical ingredients (APIs) in a single form, usually manufactured and distributed in a fixed ratio.
Other FDCs included in the list include the combinations of dispersible amoxycillin and potassium clavulanate used to treat bacterial infections such as sinusitis, and gliclazide and metformin hydrochloride, which is used to treat Type 2 diabetes. The list also includes dietary supplements such as oral cholecalciferol (Vitamin D3) tablets and antifungal itraconazole capsules.
The 20 drugs whose ceiling prices have been revised include 13 new drugs such as injectable immunoglobins for rabies, tetanus, measles, and BCG, whereas prices of the other seven drugs have been revised after review order to include WPI rate impact.
This list of seven essential formulations includes injectable version of thiamine (Vitamin B1), versions of lignocaine (local anesthetic), tablets for ascorbic acid (Vitamin C), and tablet and liquid versions of clarithromycin (antibiotic).
The government notification mentioned that manufacturers of scheduled formulations selling its branded, generic, or both versions at a price higher than the ceiling price (plus Goods and Services Tax as applicable), shall revise the prices of all such formulations downward not exceeding the ceiling price specified.

Healthcare, pharma sectors raise Rs 14,811 crore via IPOs in 2024

India’s healthcare and pharmaceutical sectors raised Rs 14,811 crore through initial public offerings (IPOs) in 2024, the largest since 2019, driven by strong domestic demand amid expanding global opportunities.
According to data, key contributors to the record fundraising included Sai Life Sciences (Rs 3,043 crore), IKS Health (Rs 2,498 crore), and Sagility India (Rs 2,107 crore). Despite fewer IPOs this year (13 compared with 21 last year), the average issue size saw a considerable jump.
The pharma industry in India is among the top sectors attracting investments. According to the draft red herring prospectus (DRHP) of Sai Life Sciences, “Resilient and sustainable long-term growth has been evident in the global pharmaceutical industry, particularly driven by an increase in chronic diseases, sedentary lifestyles, growth of the geriatric population, and increasing health consciousness.”
The global pharmaceutical market, valued at $1,451 billion in 2023, is projected to grow at a compound annual growth rate (CAGR) of 6.2 per cent and reach $1,956 billion by 2028.
In India, the pharmaceutical sector is among the top ten attractive industries for foreign investment, with exports reaching over 200 countries, including regulated markets like the US and Europe. “India accounts for 20 per cent of global generic drug exports by volume, positioning it as the largest global provider. Pharmaceutical exports totaled $ 25.3 billion in FY23, with March 2023 alone contributing $2.48 billion,” according to the DRHP of Zenith Drugs.
Experts feel that global drug shortages allow Indian drug makers to tap the export market.
“Branded generics drive the domestic market, while export opportunities, especially in the US, have rebounded due to elevated product shortages and facility shutdowns and compliance issues. Emerging categories like biosimilars, GLP-1 drugs, patent expiries and injectables are poised to provide significant future growth, opportunities over mid to long term” said industry expert Shrikant Akolkar, Vice President – research, Nuvama Institutional Equities.
The hospital sector has seen a post-pandemic resurgence, as evidenced by high subscription rates for new IPOs. Companies like Sagility India and IKS Health, which are focused on healthcare service delivery, reflect investor optimism in non-traditional segments of the healthcare ecosystem.
Upcoming opportunities in the sector include off-patent products, biosimilars, and innovative therapies. Analysts also point to the rising demand for healthcare services in Tier-II and Tier-III towns, contributing to long-term growth.

India’s healthcare and pharmaceutical sectors are poised for consistent growth, supported by domestic consumption and export opportunities.

“The strong historical performance, new capex and R&D programs and promising future outlook have instilled confidence in investors, leading to increased interest and investment in the sector,” Akolkar noted.

Source : Business Standard

Weekend Top

जयपुर (राजस्थान) में कोविड -19 टीकाकरण के नि:शुल्क शिविर का आयोजन

जयपुर (राजस्थान) में जुलाई के प्राथमिक दिनो में श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ नागरिक मंडल (जयपुर) व राजस्थान सरकार के संयुक्त तत्वाधान में 18 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के सभी नागरिकों के लिए राम मंदिर सत्संग भवन,गोविन्द नगर, श्याम नगर थाने के सामने, जयपुर में कोविड -19 टीकाकरण के नि:शुल्क शिविर के आयोजन में शिविर सह-प्रभारी के रूप में श्रीमान विजेंद्र गौड़ (Curo Prime) द्वारा उल्लेखनीय भूमिका निभाई गयी | उनके इस सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन करने पर Novalife Healthcare, बैंगलोर की ओर से हार्दिक आभार एवं शुभकामनाये

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Dr Reddy’s becomes first Indian company to launch anti-cancer drug in China

Hyderabad-based Dr Reddy’s Laboratories has become the first Indian pharmaceutical company to launch an anti-cancer drug in the Chinese market, India’s ambassador to China Vikram Misri said on October 13.

Abiraterone Acetate is a drug used for treating prostate cancer. It was first launched in the US in 2020, following approval from the US Food and Drug Administration (USFDA).

“Some good news this week – a breakthrough for the Indian pharmaceutical industry in China as Abiraterone by Dr Reddy’s becomes the first anti-cancer drug from India to enter the Chinese market,” Misri tweeted.

In China, Dr Reddy’s laboratories Ltd operates through its joint venture with Rotam Group of Canada. The joint venture is widely known as KunshanRotam Reddy Pharmaceutical Co, Ltd. (KRRP).

Besides China, Dr Reddy’s operates in markets across the globe including, the USA, India, Russia, and Europe.

Last year, Dr Reddy’s tied up with Russia’s RIDF for marketing and manufacturing of COVID-19 jab Sputnik V in India. Moneycontrol

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Dapagliflozin can improve kidney function: Lancet

A common diabetes medicine can be used as an option for treating certain people with chronic kidney disease (CKD) in adults, claims a study published in the journal Lancet.
Dapagliflozin belongs to a group of medicines called ‘sodium-glucose cotransporter-2 (SGLT2) inhibitors’.

An SGLT2 inhibitor works by blocking the SGLT2 protein in the kidneys. Blocking this protein alleviates kidney damage by reducing pressure and inflammation in the kidneys. It also helps to stop protein from leaking into the urine, and reduces blood pressure and body weight.
A clinical trial of 4,304 participants with CKD revealed that dapagliflozin reduces the rate of kidney function decline in patients with chronic kidney disease (CKD).

The participants were divided into two groups: With dapagliflozin 10 mg or placebo once daily, added to standard care.

Although participants without diabetes also experienced a slower rate of kidney function decline with dapagliflozin, the effect of dapagliflozin was greater in those with diabetes.

“The key conclusion is that dapagliflozin is an effective treatment to slow progressive kidney function loss in patients with CKD with and without type 2 diabetes,” said lead author Hiddo Lambers Heerspink, from the University Medical Center Groningen.

“Therefore, in addition to reducing the risk of heart failure or mortality, dapagliflozin also slows the progression of kidney function decline,” Heerspink added.

The findings will also be presented at ASN Kidney Week 2021 November 4-November 7.

CKD is a long-term condition in which the kidneys do not work as they should. It is common, especially in older people. In the early stages, there are usually few symptoms and people can have the condition without knowing it.

CKD is often caused by other conditions that affect the kidneys. These include diabetes, high blood pressure, high cholesterol and kidney infections. Making healthy lifestyle choices and controlling underlying conditions are important. CKD can get worse over time, but treatments can stop or delay this, and many people live for a long time with their condition well controlled.

Adding dapagliflozin to current standard care has been shown to significantly reduce the risk of having declining kidney function, end-stage kidney disease, or dying from causes related to the kidneys or cardiovascular system.

Source : India Times

बंदूक की नोक पर एक करोड़ के कॉस्मेटिक्स की लूट का मामला

दिल्ली के सेठी गैंग का सरगना साथी सहित गिरफ्तार

हरिद्वार – हरिद्वार के सिडकुल से हरियाणा के रोहतक भेजा जा रहा एक करोड़ का कॉस्मेटिक दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कुख्यात सेठी गैंग ने लूटा था। पुलिस और एसओजी ने गिरोह के सरगना सुनील उर्फ सागर उर्फ सेठी उर्फ रवि समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। उनकी निशानदेही पर करीब 90 लाख रुपये का सामान और घटना में इस्तेमाल तमंचा व कारतूस व 12 टायर ट्रक बरामद किया है।

रोशनाबाद स्थित पुलिस कार्यालय पर पत्रकार वार्ता करते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डॉ. योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि 22 अक्तूबर को सिडकुल की हिंदुस्तान यूनीलीवर कंपनी से एक करोड़ से ज्यादा का कॉस्मेटिक सामान ट्रक से रोहतक (हरियाणा) भेजा जा रहा था।

बहादराबाद में हाईवे पर पतंजलि योगपीठ के पास कार सवार बदमाशों ने ट्रक रोककर चालक को बंधक बना लिया और मंगलौर क्षेत्र में ले जाकर माल लूट लिया था। एक करोड़ से ज्यादा का माल दूसरे ट्रक में लोड करने के बाद बदमाश चालक और खाली ट्रक छोड़कर फरार हो गए थे। 

एसएसपी ने बताया कि प्रभारी थानाध्यक्ष व प्रशिक्षु पुलिस उपाधीक्षक परवेज अली, सहायक थानाध्यक्ष संजीव थपलियाल, एसओजी प्रभारी रणजीत तोमर और श्यामपुर के सहायक थानाध्यक्ष अनिल चौहान के नेतृत्व में चार पुलिस टीमों का गठन किया था।

पुलिस टीमों ने रुड़की, मंगलौर हाईवे पर ट्रांसपोर्ट कंपनी से जुड़े करीब 1200 कर्मचारियों से पूछताछ की। 500 से अधिक सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाले। आखिरकार घटना को अंजाम देने वाला सुनील, निवासी जेजे कॉलोनी थाना पंजाबी बाग, दिल्ली और उसके साथी शैलेश चौधरी, निवासी परतापुर, थाना टीपी नगर, जिला मेरठ को गिरफ्तार कर लिया गया।

एसएसपी ने बताया कि गैंग के सरगना सुनील ने अपने साथियों के साथ मिलकर घटना को अंजाम दिया था। उनकी निशानदेही पर पुलिस ने करीब 90 लाख रुपये का सामान आदि बरामद कर लिया है। घटना में शामिल सोनू निवासी अमृतसर (पंजाब) और देवेंद्र निवासी हस्तिनापुर मवाना, मेरठ की गिरफ्तारी के लिए पुलिस व एसओजी की टीम दबिश दे रही है।

जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने पुलिस टीम को शाबाशी देते हुए ढाई हजार रुपये का इनाम भी दिया है। इस दौरान एसपी क्राइम पीके रॉय, एसपी सिटी कमलेश उपाध्याय, एसपी सदर विशाखा अशोक, एएसपी ज्वालापुर रेखा यादव भी मौजूद रही।