134 शिडयूल्ड दवाओं तथा चार आईवी फ्लूइड्स के मूल्य निर्धारण हेतू

एनपीपीए ने अक्टूबर 2023 के लिए निर्माताओं से डाटा मांगा


नयी दिल्ली – राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने 134 अधिसूचित दवाओं तथा चार आईवी फ्लूइड्स की अधिकतम कीमतें तय करने के लिए निर्माताओं तथा विपणनकर्ता कम्पनियों से अक्टूबर 2023 माह के लिए इन उत्पादों के मूल्यों से सम्बंधित डाटा प्रस्तुत करने के लिए कहा है। यह प्राधिकरण के पहले के निर्णय के अनुरूप है जिसमें अक्टूबर 2023 के मूल्य डाटा बेस के आधार पर फार्मूलेशन्स की अधिकतम कीमत तय करने के लिए कहा गया था जबकि इससे पहले जुलाई 2022 का डाटाबेस लेने का आदेश दिया गया था। जुलाई 2022 के डाटाबेस का उपयोग करके संशोधित किए गए शिडयूल के अन्तर्गत जनवरी 2024 के दूसरे पक्ष में अधिकतम मूल्य निर्धारित किए गए थे।
24 जनवरी 2024 को आयोजित प्राधिकरण की बैठक मंे निर्णय लिया गया कि ड्रग्स (प्राइज कंट्रोल) ऑर्डर-2013 के संशोधित किए गए शिडयूल प् के अन्तर्गत शेष रहे लगभग 225 फॉर्मूलेशन के अधिकतम मूल्य तय करने कूे लिए अक्टूबर 2023 के मूल्य के डाटाबेस का प्रयोग किए जाए। एनपीपीए ने अब सम्बंधित निर्माताओं तथा विपणनकर्ता कम्पनियों को निर्देश दिया है कि वह मूल्य नियामक द्वारा उपलब्ध करवाए गए प्रारूप में अक्टूबर-2023 महीने के लिए मूल्य के सन्दर्भ में प्राइज-टू-रिटेलर ;पीटीआरद्ध तथा मूविंग अन्नुअल टर्नओवर (एमएटी) (नवम्बर 2022 से अक्टूबर 2023 के दौरान कुल बिक्री) के सम्बन्ध में डाटा प्रस्तुत करें। 05 जून 2024 को जारी किए गए कार्यालय ज्ञापन के जारी होने से 10 दिनों की अवधि के अन्दर जानकारी साकारात्मक रूप से प्रस्तुत करने की मांग की गयी है। 134 फॉर्मूलेशन्स तथा चार आईवी फ्लूइड्स फॉर्मूलेशन्स ग्लूकोज, ग्लूकोज प्लस सोडियम क्लोराइड, सोडियम क्लोराइड तथा रिंगर लेक्टेट के लिए विवरण मांगा गया है।
जनवरी 2024 की बैठक में प्राधिकरण ने पाया कि 23 नवम्बर 2022 को आयोजित बैठक में लिए गए निर्णय के आधार पर 24 जनवरी 2024 तक जुलाई 2022 के डाटाबेस का प्रयोग कर नैशनल लिस्ट ऑफ इसेंशियल मेडिसिन ;एनएलईएमद्ध 2022 के अन्तर्गत 700 फॉर्मूलेशन्स के मूल्य निर्धारित किए गए हैं। आगे लगभग 225 फॉर्मूलेशन्स के सीलिंग मूल्य नए डाटाबेस के साथ निर्धारित किए जाने हैं।
एनएलईएम-2015 के आधार पर पिछली सीलिंग मूल्य संशोधन की प्रक्रिया से तुलना करने पर प्राधिकरण ने पाया कि एनएलईएम को शिडयूल प् के रूप में मार्च 2016 को अधिसूचित किया गया था तथा अगस्त-2015 के डाटाबेस, जो कि शिडयूल प् की अधिसूचना की तारीख से छह महीने पहले का था, को मूल्य निर्धारण के दौरान विचार में लिया गया था। हालांकि 03 जनवरी 2019 से पैरा 9 (7) के लागू होने के बाद अगस्त 2015 माह के साथ-साथ अन्य महीनों के डाटाबेस पर विचार करते हुए एनएलईएम-2015 के अन्तर्गत अधिकतम मूल्य तय किए गए थे। यह भी देखा गया कि मूल्य निर्धारण के लिए अक्टूबर 2023 का डाटा बेस का प्रयोग कम्पनियों द्वारा उपयोग में लिए गए 2023 के थोक मूल्य सूचकांक के आधार पर विधिवत संशोधित पीटीआर को भी कैप्चर करेगा। तदन्दर डीपीसीओ 2013 के पैरा 9 (7) के तहत एनएलईएम -2022 के अन्तर्गत शेष रहे फार्मूलेशन्स की अधिकतम कीमतों के निर्धारण के लिए अक्टूबर-2023 के डाटा बेस और अक्टूबर 2023 के महीने का उपयोग करने का निर्णय लिया गया।
डीपीसीओ-2023 के पैरा 9 (7), जिसे 03 जनवरी 2019 में संशोधन के माध्यम से आदेश में जोड़ा गया है था, में कहा गया कि इस पैराग्राफ में निहित किसी भी बात के बावजूद फार्मूलेशन के लिए अधिकतम मूल्य तय करने या संशोधित करने के लिए, यदि ऐसा करना आवश्यक हो तो सरकार किसी भी महीने के लिए उपलब्ध मार्केट आधारित डाटा पर विचार कर सकती है, जैसा कि उचित समझा जाए।

नशीली दवाओं का बड़ा खेल, पेमेन्ट पहले व ऑर्डर बड़ा हो कम्पनियों बनाकर भेजने को तैयार

श्रीगंगानगर- राजस्थान के मुख्यतः दो जिले, परन्तु अब तीन क्योंकि श्रीगंगानगर के तहत आते अनूपगढ को जिला बनाया गया है, हनुमानगढ़ व श्रीगंगानगर में पिछले दो साल में पुलिस तथा बीएसएफ द्वारा 700 करोड़ रूपए मूल्य से ज्यादा का नशा पकड़ा गया है। 2100 से अधिक तस्कर गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस तथा औषधि नियंत्रण विभाग भी तीन साल में 15 लाख से ज्यादा नशीली गोलियां जब्त कर चुके हैं परन्तु इसके बावजूद कस्बों गांवों में नशा चोरी-छिपे बिक रहा है।
प्रिन्ट मीडियाकर्मियों ने जब इनकी आपूर्ति के सम्बन्ध में जांच पड़ताल की तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आयी। प्रेगबालिन-150 एवं 300 एमजी की टेबलेट/कैप्सूल की बिक्री पर इन दोनों जिलांे में प्रतिबन्ध है। बद्दी (हिमाचल प्रदेश) जो कि दवा निर्माण क्षेत्र में एक हब के रूप में जाना जाता है, वहां कम्पनियां इन दवाओं को न केवल बनाने के लिए तैयार है बल्कि आपके दिए पते पर भेजने को तैयार हैं। मीडियाकर्मी ने बद्दी व चण्डीगढ में कई दवा कम्पनियांे के प्रतिनिधियों, दलालों तथा थोक विक्रेताआंे से मिल कर प्रेगबालिन-300 एमजी का सौदा किया। सभी यह टेबलेट बना कर देने को तैयार थे। 10 टेबलेट का स्ट्रिप 20 से 30 रूपए से बना देंगे परन्तु शर्त है कि कम से कम 500 बॉक्स बनवाने होंगे। यानि थोड़ा मोटा खेल खेलना होगा। होलसेलर्स का कहना

था कि आप तो पता दीजिए प्रेगबालिन-300 एमजी भिजवा देंगे लेकिन बॉक्स कम से कम 50 लेने होंगे। दिल्ली के होलसेलर्स टेपेन्टाडोल देने को भी तैयार हो गए। इस तत्व की टेबलेट की भी नशेड़ियों में जबरदस्त मांग है। हैरानी की बात है कि यह सब ड्रग लाइसेंस के बिना यह दवाएं देने को तैयार हो गए।
बद्दी ;हिमाचल प्रदेशद्ध में फार्मा कम्पनियों के लगभग 700 प्लांट हैं। यहां बहुत से दवा प्लांट आवासीय क्षेत्रों ;घरोंद्ध में संचालित हो रहे हैं। इन प्लांट्स में बड़ी फार्मा कम्पनियों को थर्ड पार्टी मैन्यूफैक्चरिंग के नाम पर दवाएं बना कर दी जाती हैं और इसी की आड़ में अनेक प्लांट्स में एच-1 श्रेणी की नशीली दवाएं भी बनायी जाती हैं। दलाल/कम्पनी प्रतिनिधि इन्हीं प्लांट मालिकों के सम्पर्क में रहते हैं व दवा के ऑर्डर इन्हें देते हैं। कम्पनियां पैसा कमाने के चक्कर में बिना ड्रग लाइसेंस तथा जीएसटी के बिना ही न केवल ऐसी दवाएं बनाने को तैयार हो जाती हैं बल्कि आपके बताए पते पर सीधे भेज देती हैं।
हनुमानगढ़ के सहायक औषधि नियंत्रक अशोक मितल का कहना है कि नशे में दुरूपयोग होने वाली 13 दवाओं की बिक्री में अनियमितताओं के चलते हमने पिछले डेढ वर्ष में 32 फर्मों के लाइसेंस निलम्बित तथा 20 से अधिक लाइसेंस निरस्त किए हैं।

8 चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन निरस्त, दो का निलम्बित

जयपुर- चिकित्सा क्षेत्र का विनियमन करने वाली संस्था राजस्थान मैडीकल कौंसिल की जनरल बॉडी की बैठक में पैनल एवं इथिकल कमेटी के सामने रखे गए 25 प्रकरणों में से एनएमसी (दिल्ली) के निर्देशनुसार 8 चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन निरस्त कर दिया गया और दो चिकित्सकों का रजिस्ट्रेशन 6-6 महीने की अवधि के लिए निलम्बित कर दिया गया। निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश ने बताया कि डॉ. संजय धनखड़, डॉ. गणपत सिंह, डॉ. मोहम्मद साजिद, डॉ. मोहम्मद अफजल, डॉ. कृष्णा सोनी, डॉ. बोम्मा रेड्डी हरि कृष्णा, डॉ. जयदीप सिंह तथा डॉ. बलजीत कौर का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया गया है जबकि डॉ. अजय अग्रवाल तथा डॉ. सुमन अग्रवाल का रजिस्ट्रेशन 6-6 महीने के लिए निलम्बित किया गया है। उन्होंने बताया कि निर्देशों पर राजस्थान मैडीकल कौंसिल के समस्त रिकॉर्ड को ऑन लाइन करने एवं चिकित्सकों के क्रेडिट अवार्ड कौंसिल के समस्त रिकॉर्ड को ऑन लाइन करने एवं चिकित्सकों के क्रेडिट अवार्ड को बढाने के लिए ऑन लाईन सीएमई सिस्टम लागू करने एवं परिषद में पंजीकृत चिकिसकों का क्यू आर कोड वाले स्मार्ट कार्ड बनाने का निर्णय सर्व सम्मति से लिया गया है। साथ ही पीसीटीएस सॉफ्टवेयर और यू विन पोर्टल पर निजी चिकित्सालयों की रिपोर्टिंग करने के भी निर्देश दिए गए है।

ग्लोबल टैण्डर इन्क्वायरी से उत्पादों की खरीद को सुगम बनाने हेतू

डीओई ने 120 दवाओं को जनरल फाइनेन्सियल नियमों से छूट दी

नयी दिल्ली- केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के अन्तर्गत ओन वाले व्यय विभाग (जीटीई) के माध्यम से 120 प्रकार की दवाओं की सरकारी खरीद को योग्य बनाने के लिए एक आदेश जारी कर 31 मार्च 2027 तक के लिए जनरल फाइनेन्सियल रूल्स (जीएफआर) में सम्बंधित नियमों से छूट प्रदान की हैं। जीएफआर नियमों से इन दवाओं की खरीद के लिए छूट देने हेतू स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए अनुरोध के अनुसरण में यह आदेश जारी किए गए हैं। जीएफ आर 2017 के निमय 161 (IV) के अनुसार 200 करोड़ रूपए तक की निविदाओं के लिए ग्लोबल टैण्डर इन्क्वायरी आमंत्रित नहीं की जा सकती। हालांकि असाधारण मामलों में, जहां मंत्रालय या विभाग को लगता है कि जीटीई जारी करने के लिए विशेष कारण हैं, वह अपना विस्तृत औचित्य दर्ज कर सकता है और सक्षम प्राधिकारी, जो सचिव (समन्वय) कैबिनेट सचिवालय है, से नियम में छूट के लिए पूर्व में अनुमोदन प्राप्त कर सकता है।
जीटीई की अनुमति देने के लिए जिन दवाओं को नियमों से छूट दी गयी उन में अन्य दवाओं के साथ इली-लिली की मधुमेह के लिए ट्रलिसिटी ब्रांडेड प्री-फिल्ड पेन, शेष द्वारा एवरिसडी ब्रांड नाम से बेची जाने वाली दवा रिस्डिप्लाम, एस्ट्रा जेनेका की गम्भीर इसीनोफिलिक अस्थमा दवा फासेनरा, ग्लैक्सों स्मिथ क्लाइन का दाद का टीका शिंग्रिक्स, जाॅनसन एण्ड जाॅनसन की रूमेटाइड गठिया की दवा सिम्पोनी तथा नोवो-नोर्डिक्स की ब्रांडेड रेजोडेग पेनफिल शामिल हैं।
डीओई के आदेश में कहा गया कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अनुरोधप के मद्देनजर जीएफआर-2017 के नियम 161 (IV) के तहत, इस विभाग द्वारा 15 मई 2020 ओर 28 मई 2020 के कार्यालय ज्ञापन संख्या एफ. 12/17/2019- पीपीडी के द्वारा जारी निर्देशों से, सामान्य छूट प्रदान की जाती है, जिसके तहत 31 मार्च 2027 या अगले आदेश तक एनेक्जर ए में सूचीबद्ध 120 दवाओं की खरीद के लिए जीटीई जारी किए जा सकते हैं। यहां ध्यान देने योग्य है कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय समय-समय पर कुछ दवाओं एवं चिकित्सा उपकरणों के लिए जीएफआर नियमों से छूट देने की मांग करता रहा है ताकि स्थानीय बाजार में इनकी उपलब्धता की जांच के बाद जीटीई के माध्यम से इन उत्पादों की खरीद को सुविधाजनक बनाया जा सके।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय और फार्मा विभाग कई उत्पादों के लिए स्थानीय निर्माताओं की पहचान करने के लिए प्रयास कर रहे हैं ताकि केन्द्र सरकार की खरीद एजेन्सियां जैसे तेल रेल मंत्रालय और कर्मचारी राज्य बीमा निगम ;ईएसआईसीद्ध जीएफआर की शर्तों के अनुसार इन दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों की खरीद के लिए स्थानीय निर्माताओं का विवरण शामिल कर सकें। इस उद्देश्य के लिए खरीद एजेन्सियों से इन दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की सूची भी संकलित की जाती है। अप्रैल 2023 में व्यय विभाग ने एक ज्ञापन जारी किया जिसमें 364 चिकित्सा उपकरणों तथा 70 दवाओं को स्थानीय निर्माताओं से खरीद के लिए अनिवार्यता से छूट दी गयी और बाद में दिसम्बर 2023 में इस सूची में 15 और दवाएं जोड़ी गयी। इन दवाओं और चिकित्सा उपकरणों को 31 मार्च 2024 तक प्रासंगिक जीएफआर नियम से छूट दी गयी। उल्लेखित है कि फार्मा विभाग ने 30 दिसम्बर 2020 को सार्वजनिक खरीद ओदश (पीपीओ) 2017 को प्रावधानों को लागू करने के लिए एक दिशा-निर्देश जारी किया है जिसका उद्देश्य मेक इन इंण्डिया को प्रोत्साहित करना और भारत में फार्मास्यिूटिकल क्षेत्र से सम्बंधित वस्तुओं और सेवाओं के विनिर्माण और उत्पादन को बढावा देना है ताकि आय तथा रोजगार को बढाया जा सके।

फर्जी मैडीकल हाल पर मारा छापा एफडीए टीम ने की 37 प्रकार की दवाएं जब्त

चंडीगढ़ & हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री श्री अनिल विज के निर्देशानुसार खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग की टीम ने जींद में एक शिकायत के आधार पर जींद के भिवानी बाई पास रोड़ स्थित मैसर्स सुरेश मेडिकल हॉल नामक गैर लाइसेंस परिसर में छापेमारी की] जिसमें 37 विभिन्न प्रकार की एलोपैथिक दवाओं का भंडार था और सभी दवाओं को जब्त कर लिया गया।

इस संबंध में जानकारी देते हुए खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि जींद की ड्रग कंट्रोल अधिकारी विजय राजे राठी ने अन्य अधिकारियों के साथ इस मैडीकल हॉल में छापा मारा और यहां 37 प्रकार की दवाओं को जब्त किया गया है तथा आरोपी के खिलाफ अदालत से हिरासत के आदेश ले लिए गए हैं।प्रवक्ता ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के प्रदेश के लिंगानुपात की ओर सुधाकर 950 की दर तक ले जाने के संकल्प को पूरा करने व हरियाणा सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं अभियान को कामयाब करने के लिए ऐसी संयुक्त रेड मिशन पूरा होने तक हरियाणा में जारी रहेंगी।

सोच-समझकर लें सप्लीमेंट्स, नहीं तो हो सकता है सेहत को नुकसान

बैलेंस्ड डाइट का अर्थ होता है संतुलित आहार। अब पोषक तत्वों का यह संतुलन कैसे कायम किया जाए, इसका निर्धारण हरेक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति के अनुसार अलग हो सकता है।

इसलिए हरेक व्यक्ति की बैलेंस्ड डाइट अलग-अलग होती है, जिसमें सभी पोषक तत्वों का सही अनुपात और ज़रूरत पडऩे पर डॉक्टर की सलाह पर सप्लीमेंट्स का भी योगदान होता है।

अकसर देखा गया है कि बहुत से लोग बिना सही जानकारी के कोई भी लक्षण दिखने पर अपने ही आंकलन के अनुसार कैल्शियम और प्रोटीन के सप्लीमेंट्स लेना शुरू कर देते हैं, जिसके सेहत पर काफी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।

कमी हो तभी लें

बाज़ार में मौज़ूद मल्टी विटमिंस की बात करें तो उनकी कंपोज़ीशन और उनकी मात्रा दोनों पर ध्यान दिया जाना ज़रूरी है, क्योंकि बिना सलाह के लिए जाने बहुत से सप्लीमेंट्स के कंपोज़ीशन में उनकी मात्रा में कमी हो सकती है और व्यक्ति को केवल मानसिक संतुष्टि हो सकती है कि उसने सप्लीमेंट लेने शुरू कर दिए हैं।

केवल डॉक्टर उन कैप्सूल्स की कंपोज़ीशन और व्यक्ति में उसकी कमी के अनुसार डोज़ निर्धारित कर सकता है।

ज़रूरी बातें

जब करें कैल्शियम का सेवन:

कैल्शियम के अत्यधिक सेवन के कारण पेट से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं, क्योंकि कैल्शियम का एक कैप्सूल खाने के लिहाज़ से भारी होता है। ऐसे में चक्कर आना, ब्लोटिंग, पेट खराब रहना जैसी समस्याएं नज़र आती हैं।

इसके साथ-साथ महिलाओं में पीरियड्स का दर्द भी बढ़ सकता है। इसके कारण नसों और मस्तिष्क के संचालन में भी समस्याएं आ सकती हैं और किडनी में पथरी की समस्या का जोखिम हो सकता है।

बी कॉम्प्लेक्स का भी सोचें:

बी कॉम्प्लेक्स के सेवन के साथ तुलनात्मक रूप से गंभीर समस्या देखने को नहीं मिलती, क्योंकि यह पानी में घुल जाता है।

प्रोटीन को  करें नज़रअंदाज़:

प्रोटीन के सेवन की यदि बात करें तो मुख्य बिंदु संतुलन बनाने का है। यह संतुलन है प्रोटीन के सेवन और व्यायाम का, क्योंकि प्रोटीन के सेवन के साथ व्यायाम का सही संतुलन न रखा जाए तो लिया गया अतिरिक्त प्रोटीन किडनी और लिवर में जमना शुरुर हो जाता है।

इम्यूनिटी जब उल्टा काम करने लगे, तो ये पड़ता है असर शरीर पर: Must know

कोरोना काल में सबसे ज्यादा चर्चा इम्युनिटी की हुई। लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए क्या-क्या जतन नहीं किए। बाजार में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दवाइयों की बाढ़ आ गई।

एक समय तो इसका ब्लैक मार्केटिंग तक होने लगा। दरअसल, इम्युनिटी (immune) शरीर में बैक्टीरिया, फंगस, वायरस जैसी बाहरी शक्तियों से लड़ने या इन्हें खत्म करने के काम आती है।

जैसे शरीर के अंदर यानी खून में किसी बैक्टीरिया, वायरस आदि का जैसे ही प्रवेश होते हैं, इम्युन सिस्टम सक्रिय हो जाता है। एक तरह से यह फौज की तरह काम करता है।

हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक इम्युन सिस्टम शरीर में बाहरी आक्रमण होने पर यह अपनी फौज को उसे खत्म करने के लिए निर्देश देता है।

यह वायरस या बैक्टीरिया का काम तमाम करने के बाद वापस लौट आता है, लेकिन कभी-कभी यह इम्युनिटी उल्टा काम करने लगती है और अपने ही कोशिकाओं को मारना शुरू कर देती है। इसे ऑटोइम्युन बीमारी कहते हैं।

ऑटोइम्युन की बीमारी कई तरह की होती हैं। टाइप-1 डायबिटीज भी एक तरह से ऑटोइम्युन बीमारी है है। इसी तरह ऑर्थराइटिस, सोरयासिस (Psoriasis), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis), एडीसन डिजीज, ग्रेव्स डिजीज आदि ऑटोइम्युन डिजीज के प्रकार हैं। बीमारी की गंभीरता के आधार पर ऑटोइम्युन बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।

ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण क्या हैं

हर ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण अलग-अलग होते हैं।ऑटोइम्यूज बीमारियों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं जैसे जोड़ों में दर्द और सूजन, थकावट, बुखार, चकत्ते, बेचैनी आदि।इसके अलावा स्किन पर रेडनेस, हल्का बुखार, किसी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं होना, हाथ और पैर में कंपकपाहट, बाल झड़ना, स्किन पर रैशेज पड़ना आदि लक्षण ऑटोइम्युनि बीमारियों में आम हैं। इस बीमारी के लक्षण बचपन में भी दिख सकते हैं।

किसे है ज्यादा जोखिम

जिन लोगों के परिवार में यह पहले से मौजूद हैं, उनमें इस बीमारी का जोखिम सबसे ज्यादा है यानी इसमें आनुवंशिकता अहम भूमिका निभाती है।

अगर आपके परिवार में किसी को भी किसी तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है तो आपको भी इस तरह की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी का खतरा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है।

ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान

ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज़ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं।शारीरिक जांच करते हैं और खून में ऑटोएंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।

संतुलित आहार लेना जरूरू

ऑटोइम्युन की किसी भी तरह की बीमारी में संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है।इसके लिए पुराना चावल, जौ, मक्का, राई, गेहूं, बाजरा, मकई और दलिया का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा मूंग की दाल, मसूर की दाल और काली दाल का सेवन करना भी फायदेमंद है।मटर और सोयाबीन भी फायदेमंद है। फल और सब्जियों में सेब, अमरूद, पपीता, चेरी, जामुन,एप्रिकोट,आम, तरबूज, एवोकाडो, अनानास, केला, परवल, लौकी, तोरई, कद्दू, ब्रोकली का सेवन करें।

Cholesterol के बारे में मन में है ये धारणा, तो अभी इसे निकाल दें

Myth about cholesterol: अक्सर हेल्थ के मामले में कोलेस्ट्रॉल की चर्चा होती रहती है. आमतौर पर कहा जाता है कि कोलेस्ट्रॉल का स्तर ज्यादा हो गया, इसलिए इन चीजों पर कंट्रोल करें या फैटी चीजों का सेवन नहीं करें।

यह सच है कि ज्यादा कोलेस्ट्रॉल के कारण कई प्रकार की परेशानियां पैदा हो जाती हैं, लेकिन कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार के होते हैं।

पहला बैड कोलेस्ट्रॉल जो मानव शरीर के लिए खतरनाक है और दूसरा गुड कोलेस्ट्रॉल जो शरीर के लिए प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट की तरह ही जरूरी है।

कोलेस्ट्रॉल मानव कोशिकाओं के बाहर एक खास एलिमेंट से बनी हुई परत होती है। इसे मेडिकल साइंस की भाषा में कोलेस्ट्रॉल या लिपिड कहा जाता है।

मानव शरीर में होने वाली शारीरिक क्रियाओं को ठीक तरीके से पूरा करने के लिए कोलेस्ट्रॉल का होना बेहद जरूरी होता है। हमारे शरीर के विकास के लिए यह कई जरूरी हार्मोन का निर्माण करता है।

हालांकि कोलेस्ट्रॉल को लेकर लोगों में कई तरह कई तरह के मिथ हैं।

कोलेस्ट्रॉल के बारे में मिथ

सभी कोलेस्ट्रॉल खराब होते है

कोलेस्ट्रॉल सेल मेंब्रेन का सबसे महत्वपूर्ण घटक है। कोलेस्ट्रॉल ही स्टेरॉयड हार्मोन को बनाता है। इसलिए यह कहना कि सभी कोलेस्ट्रॉल खराब है, बिल्कुल गलत है।

डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल खराब नहीं होता। यह बिल्कुल निर्दोष है जिसे आधुनिक जीवनशैली में गलत तरह से पेश किया जा रहा है।

कोलेस्ट्रॉल के कारण ही विटामिन डी बनता है। हाई डेंसिटी लाइपोप्रोटीन यानी गुड कोलेस्ट्रॉल का ऊंचा स्तर भी नुकसानदेह नहीं है।

यह खून की नलिकाओं से कोलेस्ट्रॉल के अन्य हानिकारक रूप को साफ कर देता है। हां अगर बैड कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत बढ़ जाए, तो इससे बीमारी का खतरा हो सकता है।

हेल्दी हैं तो कोलेस्ट्रॉल सही होगा

 लोगों में यह भी धारणा होती है कि मैं तो हेल्दी हूं मेरा कोलेस्ट्रॉल बढ़ा नहीं होगा। ऐसा बिल्कुल गलत है।

डॉ ग्रीनफील्ड बताते हैं कि कोलेस्ट्रॉल न कम होना ठीक है ना ज्यादा होना ठीक है बल्कि इसका संतुलित होना जरूरी है।विज्ञापन

कोई लक्षण नहीं दिख रहा

कुछ लोग कहते हैं कि अगर मुझे हाई कोलेस्ट्रॉल होता तो इसके लक्षण दिखते। यह भी धारणा गलत है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ा हुआ स्तर आमतौर पर ऊपर से नहीं दिखता।

बैड कोलेस्ट्रॉल क्या हैलो डेंसिटी लिपोप्रोटीन को बैड कोलेस्ट्रॉल कहते हैं। जब लाइपोप्रोटीन में प्रोटीन की जगह फैट की मात्रा अधिक होने लगती है, तो यहां बैड कोलेस्ट्रॉल जमा होने लगता है। इस स्थिति में हार्ट संबंधी रोग होने का खतरा काफी बढ़ जाता है।

First Aid Box में जरूर रखें इन 10 चीजों को: Very useful in emergency

घर पर फर्स्ट एड बॉक्स (First Aid Box) का होना बहुत ही जरूरी होता है। छोटी छोटी चोट, बुखार, इन्फैक्शन या स्वास्थ्य संबं‍धी किसी भी तरह की समस्या होने पर C-19 महामारी के समय में तुरंत डॉक्टर के पास जाना संभव नहीं होता और ऐसे में ये बॉक्स बहुत काम आती है।

कई घरों में ये बॉक्स तो होता है लेकिन समय समय पर इसे वे अपडेट नहीं करते जिससे एमरजेंसी के समय मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, कई बार तो सालों से इसमें रखीं दवाएं एक्सपायर हो जाती हैं।

ऐसे में यह जरूरी है कि समय समय पर इसे चेक करते रहा जाए और जरूरी चीजों को रीफिल किया जाए। तो यहां हम आपको बता रहे हैं कि आपके फर्स्‍ट एड बॉक्स में क्या-क्या चीजें होना जरूरी है।

1. पेनकिलर दवाएं

अगर घर में सबसे जरूरी किसी दवा की जरूरत होती है तो वो है दर्दनिवारक दवाएं। फिर वह चाहे सिर दर्द, पेट दर्द, ज्‍वाइंट पेन की दवा हो या सूजन आदि के दौरान लिए जाने की।

ऐसे में आप डॉक्टर की सलाह पर कुछ दवाओं को अपने बॉक्स में एमरजंसी दवाओं के रूप में रख सकते हैं।

2. बैंडेज

घर पर काम के दौरान चोट आना एक आम बात है। ऐसे में घाव को खुला रखने से इन्फेक्शन्स की संभावना होती है। इसलिए घर में बैंडज का होना बहुत ही जरूरी  है। इसके अलावा कॉटन और पट्टी को भी जरूर इसमें रखें।

3. एंटीसेप्टिक क्रीम

कटने या छिलने के बाद घाव को तुरंत डिटॉल के पानी से धोएं और एंटीसेप्टिक क्रीम या सॉल्युशन का इस्तेमाल करें। एंटीसेप्टिक क्रीम घाव पर बैक्टीरिया पनपने के खतरे को कम करता है।

इसलिए मेडिकल एड बॉक्स में इसे जरूर रखें। आप सेफरामाइसिन या बरनॉल आदि रख सकते हैं।

4.  गैस या बदहजमी की दवा

कई बार बासी खाना या बाहर का खाना खाने से पेट दर्द, मरोड़, कब्ज, गैस, बदहजमी जैसी कई समस्याएं आती हैं ऐस में राहत के लिए एंटासिड, पुदीनहरा, डाइजिन आदि दवाओं को रखें।

ये पेट की समस्याओं से तत्काल छुटकारा दिलाने के काम आ सकती है।

5. इलेक्ट्रॉल और ग्लूकोज

गर्मी और बारिश के मौसम में अक्सर शरीर में नमक व मिनरल्स की कमी हो जाती है और डीहाइड्रेशन का अनुभव होता है। ऐसा होने पर तुरंत ग्‍लास में इलेक्ट्रॉल का घोल पीना बहुत ही फायदेमंद होता है।

ग्लूकोज के सेवन से आप दुबारा से तरोताजा हो जाते हैं।

6. पेट की समस्या की दवाएं 

पेट खराब होना, दस्त, उबकाई, अपच, बदहज़मी के लिए पेप्टोबिस्मॉल का इस्तेमाल किया जाता है। ईनो, पुदीन हरा, डाइजीन भी रखें। पेरासिटामोल, एवोमिन, कोरेक्स जैसी सामान्य दवाइयां भी जरूरत के समय काफी काम आती है।

7.  थर्मामीटर

सिजनल फीवर या कोरोना सभी में थर्मामीटर की तो जरूरत पड़ती ही है। ऐसे में हर घर में एक या दो  थर्मोमीटर होना ही चाहिए।

8. एंटी एलर्जिक दवाएं

त्वचा पर होने वाली खुजली व चकत्तों से राहत पाने के लिए एंटी एलर्जिक दवाएं, एंटी फगल क्रीम, एलोवेरा जेल और बर्न क्रीम रखना भी ज़रूरी है।

कटने, छिलने आदि में उपचार के लिए सोफरामाइसीन जैसे एंटी बैक्टीरियल या एंटीबॉयोटिक ऑइंटमेंट रखें।

9.  बाम या वेपोरब

सिर दर्द, सर्दी ज़ुकाम, हाथ पैर और कमर दर्द के लिए बाम बहुत ही उपयोगी है। बाम इस प्रकार के दर्द से तुरंत राहत दिलाने में कारगर होता है। ऐसे में ओमनीजेल, विक्‍स वेपोरब, मूव आदि जरूर रखें।

10. ब्लडप्रैशर मशीन और ऑक्‍सीमीटर

घर में अगर बुजुर्ग है तो आपको ब्‍लड प्रेशर मापते की मशीन जरूर रखनी चाहिए। इसके अलावा, कोरोना महामारी के दौरान घर घर में ऑक्‍सीमीटर का होना भी जरूरी है।

इन चीजों को भी जरूर रखेंकैंची, आइस बैग, हीटिंग बैग, रूई, बड्स, पिन, सेफ्टीपिन आदि भी फर्स्ट एड बॉक्स में जरूर रखें।

ड्रग थेरेपी  के जरिए अल्जाइमर के सस्ते और बेहतर इलाज की जगी उम्मीद : Study

आमतौर पर बुजुर्गों को होने वाली मानसिक बीमारी अल्जाइमर का अब तक कोई सटीक और पूर्ण इलाज नहीं खोजा जा सका है।

इसलिए इस रोग की उत्पत्ति के कारकों और उसके बढ़ने की दर को समझने के लिए लगातार स्टडी जारी है।

ताकि इसके कारणों के बारे में बेहतर जानकारी से रोकथाम और फिर इलाज में मदद मिल सकती है। इस दिशा में शोध में लगे जापान के रिकेन सेंटर ऑफ ब्रेन साइंसेज के रिसर्चर्स की एक टीम ने ऐसी ड्रग थेरेपी की खोज की है, जो एंडोस्फलाइन अल्फा यानी ईएनएसए  की गतिविधियों को ब्लॉक कर देगा और ये इस समय उपलब्ध उपायों में एक सस्ता और बेहतर इलाज साबित हो सकता है।

कैसे हुई स्टडी

रिकेन सेंटर ऑफ ब्रेन साइंस के रिसर्चर्स ताकाओमी सैदो और उनकी टीम ने ये समझने के लिए एक ऐसा माउस मॉडल विकसित किया, जिसमें एबी का संग्रहण और स्मरण शक्ति  में कमी इंसानों की तरह होता है।

इसी मॉडल के सहारे रिसर्चर्स ने ऐसे घटनाक्रमों की शृंखलाबद्ध खोज की है, जो ब्रेन में एबी की परत बनने की स्थितियां पैदा करते हैं।

इसमें एक प्रमुख कारक नेप्रिल्सन एंजाइम का लेवल कम होना है, जो खुद ही सोमास्टोस्टैटिन हार्मोन के कम होने से पैदा होता है।

ऐसा देखा गया कि उम्र बढ़ने के साथ नेप्रिल्सिन और सोमैटोस्टैटिन दोनों का स्तर उम्र बढ़ने पर कम होता है। यही कारण माना जाता है कि अल्जाइमर औमतौर पर बुजुर्गों को होता है।

अल्जाइमर के इलाज के लिए चूहों पर की गई ताजा स्टडी में इस बात का खास ध्यान रखा गया कि सोमास्टोटैटिन किस प्रकार से नेप्रिल्सन के लेवल को कंट्रोल करता है।

क्या कहते हैं जानकार

स्टडी के फर्स्ट राइटर नाओतो वातमुरा के अनुसार, इस प्रक्रिया में पहला चरण काफी कठिन रहा, क्योंकि हमेने एक इन विट्रो सिस्टम विकसित किया था, जो कंट्रोल माध्यम में नेप्रिल्सन रेगुलेटर को स्क्रीन कर सकता है जो हिप्पोकैंपल न्यूरॉन से पैदा होता है।

ये प्रयोग पूरा होने के बाद उन्होंने ईएनएसए की पहचान एक रेगुलेटर के रूप में की, आगे के प्रयोग में पता चला कि ईएनएसए नेप्रिल्सिन की गतिविधियों को कम देता है और जिन चूहों के ब्रेन में सोमास्टोस्टैटिन कम होता है, उनमें नेप्रिल्सन असामान्य रूप से बढ़ जाता है।

इसका मतलब यह है कि सोमास्टोस्टैटिन सामान्य तौर पर ईएनएसए पर अंकुश रखता है, जो नेप्रिल्सन का स्तर ऊंचा बनाए रखता है, जिससे एबी संग्रहित होने से पहले ही नष्ट हो जाता है।

स्टडी में क्या निकला

इसके बाद स्टडी टीम ने जीवित प्राणियों में ईएनएसए पर ध्यान केंद्रित किया। इसमें सीआरआइएसपीआर तकनीक का इस्तेमाल करते हुए ईएनएसए नॉकआउट माउस मॉडल विकसित कर उसका कनेक्शन अल्जाइमर रोग से पीड़ित मॉडल माउस से कराया गया।

इसमें पाया गया कि नए चूहों में एबी का संग्रहण मूल चूहों की तुलना में काफी कम था। इससे संकेत मिला कि ईएनएसए का हाई लेवल अल्जाइमर के लक्षण या बायोमार्कर हो सकता है, जिसकी पहचान अभी तक नहीं हो पाई थी।

जांच से पता चला कि ईएनएसए हिप्पोकैंपस में पोटाशियम चैनल को ब्लॉक कर देता है। हिप्पोकैंपस ब्रेन को वो हिस्सा है जिससे यादों को रिकॉल किया जाता है।