इम्यूनिटी जब उल्टा काम करने लगे, तो ये पड़ता है असर शरीर पर: Must know
कोरोना काल में सबसे ज्यादा चर्चा इम्युनिटी की हुई। लोग इम्युनिटी बढ़ाने के लिए क्या-क्या जतन नहीं किए। बाजार में इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दवाइयों की बाढ़ आ गई।
एक समय तो इसका ब्लैक मार्केटिंग तक होने लगा। दरअसल, इम्युनिटी (immune) शरीर में बैक्टीरिया, फंगस, वायरस जैसी बाहरी शक्तियों से लड़ने या इन्हें खत्म करने के काम आती है।
जैसे शरीर के अंदर यानी खून में किसी बैक्टीरिया, वायरस आदि का जैसे ही प्रवेश होते हैं, इम्युन सिस्टम सक्रिय हो जाता है। एक तरह से यह फौज की तरह काम करता है।
हेल्थलाइन की खबर के मुताबिक इम्युन सिस्टम शरीर में बाहरी आक्रमण होने पर यह अपनी फौज को उसे खत्म करने के लिए निर्देश देता है।
यह वायरस या बैक्टीरिया का काम तमाम करने के बाद वापस लौट आता है, लेकिन कभी-कभी यह इम्युनिटी उल्टा काम करने लगती है और अपने ही कोशिकाओं को मारना शुरू कर देती है। इसे ऑटोइम्युन बीमारी कहते हैं।
ऑटोइम्युन की बीमारी कई तरह की होती हैं। टाइप-1 डायबिटीज भी एक तरह से ऑटोइम्युन बीमारी है है। इसी तरह ऑर्थराइटिस, सोरयासिस (Psoriasis), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis), एडीसन डिजीज, ग्रेव्स डिजीज आदि ऑटोइम्युन डिजीज के प्रकार हैं। बीमारी की गंभीरता के आधार पर ऑटोइम्युन बीमारी खतरनाक साबित हो सकती है।
ऑटोइम्यून बीमारियों के लक्षण क्या हैं
हर ऑटोइम्यून बीमारी के लक्षण अलग-अलग होते हैं।ऑटोइम्यूज बीमारियों में कुछ लक्षण समान हो सकते हैं जैसे जोड़ों में दर्द और सूजन, थकावट, बुखार, चकत्ते, बेचैनी आदि।इसके अलावा स्किन पर रेडनेस, हल्का बुखार, किसी चीज पर ध्यान केंद्रित नहीं होना, हाथ और पैर में कंपकपाहट, बाल झड़ना, स्किन पर रैशेज पड़ना आदि लक्षण ऑटोइम्युनि बीमारियों में आम हैं। इस बीमारी के लक्षण बचपन में भी दिख सकते हैं।
किसे है ज्यादा जोखिम
जिन लोगों के परिवार में यह पहले से मौजूद हैं, उनमें इस बीमारी का जोखिम सबसे ज्यादा है यानी इसमें आनुवंशिकता अहम भूमिका निभाती है।
अगर आपके परिवार में किसी को भी किसी तरह की ऑटोइम्यून बीमारी है तो आपको भी इस तरह की बीमारी हो सकती है। इस बीमारी का खतरा पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में अधिक होता है।
ऑटोइम्यून बीमारियों की पहचान
ऑटोइम्यून बीमारी का पता लगाने के लिए डॉक्टर मरीज़ की पूरी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में जानते हैं।शारीरिक जांच करते हैं और खून में ऑटोएंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट भी कराते हैं।
संतुलित आहार लेना जरूरू
ऑटोइम्युन की किसी भी तरह की बीमारी में संतुलित आहार लेना बेहद जरूरी है।इसके लिए पुराना चावल, जौ, मक्का, राई, गेहूं, बाजरा, मकई और दलिया का सेवन करना फायदेमंद रहेगा। इसके अलावा मूंग की दाल, मसूर की दाल और काली दाल का सेवन करना भी फायदेमंद है।मटर और सोयाबीन भी फायदेमंद है। फल और सब्जियों में सेब, अमरूद, पपीता, चेरी, जामुन,एप्रिकोट,आम, तरबूज, एवोकाडो, अनानास, केला, परवल, लौकी, तोरई, कद्दू, ब्रोकली का सेवन करें।